Shravya Kavya Kise Kahate Hain – श्रव्य काव्य की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

Shravya Kavya Kise Kahate Hain – आज के इस लेख “Shravya Kavya In Hindi” में हम श्रव्य काव्य के बारे में पढ़ने वाले हैं जो कि काव्य का एक मुख्य भाग है, इस लेख में आप Shravya Kavya Ki Paribhasha, Bhed, Niyam Aur Udaharan के बारे में पढ़ेगें तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

Shravya Kavya Kise Kahate Hain – श्रव्य काव्य की परिभाषा

ऐसे काव्य जिनका आनन्द सुनकर लिया जाता है, इस तरह के काव्य को श्रव्य काव्य कहा जाता है।श्रव्य काव्य का आनन्द प्रत्यक्ष देखकर नहीं लिया जा सकता है। अतः इसको सुनने वाला काव्य अथवा Shravya Kavya Kahate Hain

Shravya Kavya Ke Bhed – श्रव्य काव्य के प्रकार

श्रव्य काव्य को दो प्रकार से विभाजित किया गया है-

  • प्रबन्ध काव्य
  • मुक्तक काव्य

1. प्रबन्ध काव्य

प्रबंध काव्य वह काव्य होते हैं जिसमे कोई कथा एक सूत्र में होती है अर्थात किसी कथा चित्रण विस्तार पूर्वक क्रमबद्ध तरीके से किया जाता है। इसमे किसी व्यक्ति के जीवन की सम्पूर्ण कथा का विस्तृत वर्णन किया जाता है। इसमें सभी प्रकार के रसों की मौजूदगी रहती है।

प्रबंध काव्य को भी दो प्रकार से विभाजित किया गया है-

1. महाकाव्य

पृथ्वीराज रासो को हिंदी का पहला महाकाव्य माना जाता है जो कि चंदबरदाई के द्वारा लिखा गया है।

2. खंडकाव्य

खण्ड काव्य में किसी नायक के जीबन का पूर्ण विस्तारित व्याख्यान न होकर जीबन के किसी एक अंश अथवा पक्ष का चित्रण होता है।

2. मुक्तक काव्य

मुक्तक काव्य वह काव्य होते है जिसमे किसी कथा, कहानी अथवा जीबन का पूर्णतः वर्णन नही होता है। मुक्तक काव्य प्रबन्ध काव्य का पूर्णतः विपरीत होता है। इसमें कथा सूत्र अथवा विस्तार पूर्वक नही होता है।

मुक्तक काव्य का प्रत्येक छंद स्वंय में पूर्ण होता है। इसमें आगे या पीछे के दोहे अथवा छंद से कोई सम्बन्ध नही होता है अतः यह एक दूसरे से स्वतंत्र एवं मुक्त होते हैं इसलिए इनको मुक्तक काव्य कहा जाता है। यह गीत या गाने के रूप में भी पाए जाते हैं।

मुक्तक काव्य को भी दो तरह से विभाजित किया गया है-

  1. गीतिकाव्य
  2. गजल

प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य में अन्तर

प्रबन्ध काव्यमुक्तक काव्य
1. प्रबन्ध काव्य में नायक के जीबन का क्रमबद्ध व विस्तार पूर्वक चित्रण किया जाता है।1. मुक्तक काव्य में नायक के जीबन का विस्तार पूर्वक चित्रण न होकर किसी एक भाग का चिरत्र किया जाता है।
2. प्रबंध काव्य में सम्पूर्ण कथा सूत्र में आपस मे सम्बन्ध होता है।2. मुक्तक काव्य पूर्ण रूप से स्वतंत्र एवं मुक्त होता है जिससे छन्दों का सम्बंध आपस मे नही होता है।
3. प्रबंध काव्य स्वरूप में बहुत बड़ा होता है।3. मुक्तक काव्य स्वरूप में बहुत छोटा होता है।

Conclusion – श्रव्य काव्य के उदाहरण के लिए आप रामायण, महाभारत को देख सकते हैं जो कि श्रव्य काव्य को परिभाषित करते हैं यहां पर आप Shravya Kavya Ki Paribhasha, Bhed और उनकी विशेषताएं पढ़ सकते हैं।

FAQs About Shravya Kavya Kya Hai In Hindi

Q1. श्रव्य काव्य क्या होता है ?
Ans : श्रव्य काव्य में काव्य का आनंद पढ़ कर या किसी दूसरी व्यक्ति से सुनकर रस का अभाव होता है, उसे Shravya Kavya Kahate Hain.

Q2. श्रव्य काव्य कितने प्रकार के होते हैं ?
Ans : Shravya Kavya 2 Prakar Ke Hote Hain – प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य

Q3. श्रव्य काव्य में कौन सा तत्व प्रधान होता है ?
Ans : श्रव्य काव्य में “रस” का तत्व प्रधान होता है।

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