Tatsam Tatbhav Shabd In Hindi – Tatsam Tatbhav Shabd Ki Paribhasha, प्रकार और उदाहरण, प्रकार और उदाहरण भाषा की शुद्धता बनाए रखने, उसकी गहनता को समझने और सही तरीके से प्रयोग करने के लिए हमें शब्दों को समझना आवश्यक है। शब्द भाषा या बोलचाल के मूल स्वरूप हैं, जिनके प्रयोग से किसी विचार की अभिव्यक्ति हो पाती है।
इसलिए इस लेख Tatsam Or Tatbhav Shabd In Hindi में हम तत्सम और तद्भव शब्दों का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे।लेकिन तत्सम और तद्भव शब्दों से पहले, आइये हम शब्दों के भेदों और उनके वर्गीकरण के आधार को भली-भांति समझ लेते हैं।
Shabd Kise Kahate Hain – शब्द की परिभाषा
भाषा के सूक्ष्म्तम रूपों अर्थात वर्णों के सार्थक संयोग को शब्द (Word) कहा जाता है। शब्द अखंड ध्वनियों से निर्मित होते हैं।
दो या दो से अधिक शब्द मिल कर वाक्यों की रचना करते हैं। किसी वाक्य के अंतर्गत शब्दों को ‘पद’ की संज्ञा दी जाती है। लेकिन शब्द सिर्फ वाक्यों पर ही निर्भर नहीं होते हैं। इनका अस्तित्व वाक्यों के बाहर एवं वाक्यों के बिना भी होता है।
Shabd Ke Udaharan –
- ईश्वर की अनंत ऊर्जा हमारे अंदर है।
यहाँ ईश्वर, अनंत, ऊर्जा सभी एक शब्द हैं। वाक्य के बिना भी इनका अस्तित्व और महत्व है।
शब्दों को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?
तत्सम और तद्भव शब्दों को अच्छे से समझने के लिए हमें शब्दों के वर्गीकरण के अन्य आधारों को भी देखना होगा। इसलिए आइये शब्दों के अन्य प्रकारों को भी जान लेते हैं।
शब्दों का वर्गीकरण विभिन्न 6 आधारों पर किया जाता है:
- मुख्य (मौलिक) आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
- उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
- रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
- अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
- बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
- रूपांतर के आधार शब्दों का वर्गीकरण
मुख्य (मौलिक) आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
शब्दों के मुख्यत 2 प्रकार होते हैं :
सार्थक शब्द किसे कहते हैं ?
जिन शब्दों का कोई भी सही अर्थ हो, उन्हें सार्थक शब्द कहा जाता है।
निरर्थक शब्द किसे कहते हैं ?
जिन शब्दों का प्रयोग हम दैनिक जीवन में अपने बोलचाल में तो करते हैं, लेकिन वास्तव में उनका कोई अर्थ नहीं होता है।
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के 4 प्रकार होते हैं :
1. तत्सम शब्द – संस्कृत से हिन्दी में आए शब्दों को Tatsam Shabd Kahate Hain
2. तद्भव शब्द – संस्कृत के वे मूल शब्द जिनके रूप में हिन्दी में आकर बदल गए हैं, उन्हें Tatbhav Shabd Kahate Hain
3. देशज शब्द – जिन शब्दों की उत्पत्ति भारत के क्षेत्रीय भाषाओं से हुई है, उन्हें देशज या देशी शब्द कहते हैं।
4. विदेशज शब्द – अन्य देशों के भाषाओं से आए हुए शब्द, विदेशज कहलाते हैं।
5. संकर शब्द – दो भिन्न भाषाओं के शब्दों के योग से बने शब्द, संकर शब्द कहलाते हैं।
रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
बनावट या रचना के आधार पर शब्द को 3 रूपों में वर्गीकृत किया जाता है:
1.रूढ़ शब्द – ऐसे शब्द जिनकी रचना विभिन्न शब्दों से नहीं वरन अक्षरों से होती है, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
2. यौगिक शब्द – दो या अनेक शब्दों के योग से बने शब्दों को यौगिक शब्द कहा जाता है।
3. यौगिक रूढ़ शब्द – ऐसे यौगिक शब्द जिनकी रचना दो या दो शब्दों के योग से होती है, लेकिन योग के बाद इन्हें किसी विशेष अर्थ में प्रयोग किया जाता है।
अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
शब्दों के अर्थ के आधार पर शब्दों के 4 प्रकार होते हैं:
1. एकार्थी शब्द – ऐसे शब्द जिनका एक ही मुख्य अर्थ होता है, उसे एकार्थी शब्द कहते हैं।
2. अनेकार्थी शब्द – ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक या अनेक अर्थ होते हैं।
3. पर्यायवाची शब्द – समान अर्थों वाले शब्दों को पर्यायवाची (या समानार्थी) शब्द कहा जाता है।
4. अविकारी शब्द – वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिन पर काल, लिंग, वचन, कारक इत्यादि का प्रभाव नहीं पड़ता है और उनके रूप में कोई बदलाव नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द (अव्यय) कहते हैं।
बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
बोलचाल के अर्थों के आधार पर शब्दों के 3 प्रकार होते हैं:
1. वाचक या अभिधा शब्द – जिन शब्दों का अर्थ आसानी से समझा जा सके, उन्हें वाचक या अभिधा शब्द कहते हैं।
2. लाक्षणिक शब्द – जिन शब्दों का अर्थ शाब्दिक न होकर सांकेतिक हो, उन्हें लाक्षणिक शब्द कहते हैं।
3. व्यंजना शब्द – जिन शब्दों का अर्थ न तो शाब्दिक होता और न ही लाक्षणिक, उन्हें व्यंजना शब्द कहते हैं। ऐसे शब्द किसी और भाव में कहे जाते हैं पर उनका अर्थ कुछ और ही होता है।
रूपांतर के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
शब्द के रूपों में आए अंतर के आधार पर शब्दों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. विकारी शब्द – ऐसे शब्द जो काल, वचन, लिंग, कारक आदि के प्रभाव से बदल जाते हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।
2. अविकारी शब्द – अविकारी शब्दों में काल, वचन, लिंग आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः इनका रूप-परिवर्तन नहीं होता है।
हिन्दी व्याकरण में तत्सम और तद्भव शब्द की व्याख्या :
Tatsam Shabd Kise Kahate Hain – Tatsam Shabd Ki Paribahsha
तत्सम शब्द संस्कृत के 2 शब्दों से मिल कर बना है – तत् (उसके/संस्कृत के) + सम् (समान)। अर्थात जो शब्द संस्कृत के समान हों। जिन शब्दों के मूल रूप को संस्कृत से हिन्दी में वास्तविक रूप में ग्रहण कर लिया गया है और कालांतर में भी जिनके रूप में कोई परिवर्तन नहीं आया है, उन्हें Tatsam Shabd Kahate Hain
तत्सम शब्दों में आज तक न तो अक्षरों में कोई परिवर्तन हुआ है और न ही ध्वनियों में। उन्हें आज भी ‘ज्यों का त्यों’ ही प्रयोग किया जाता है।
संस्कृत विश्व के कई भाषाओं की जननी मानी जाती है। हिन्दी की ही तरह मलयालम, तेलुगू, तमिल, बंगला जैसे कई भाषाओं के अनेक शब्द तत्सम रूप में ही प्रयुक्त किए जाते हैं।
Tatbhav Shabd Kise Kahate Hain – Tatbhav Shabd Ki Paribahsha
तत्सम के समान ही, तद्भव शब्द भी 2 शब्दों से मिल कर बना है – तत् (उससे/संस्कृत से) + भव (उत्पन्न)। अर्थात जिन शब्दों की उत्पत्ति संस्कृत भाषा या वैदिक शास्त्रों से हुई हो।
संस्कृत भाषा या वैदिक शास्त्रों के वे शब्द जो सैंकड़ों या कई हजारों सालों से प्रयोग किए जा रह हैं, लेकिन समय के साथ उनके रूप बदल गये, ऐसे शब्द Tatbhav Shabd Kahate Hain
ऐसे शब्दों ने कालांतर में कई युगों और कई भाषाओं जैसे – पालि, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं से होकर यात्रा की है। इस कारण उनके अक्षरों और ध्वनियों में कई परिवर्तन हुए हैं, लेकिन उनके अर्थ आज भी वही हैं।
Tatsam Shabd Or Tatbhav Shabd Ke Udaharan
- आश्चर्य – अचरज
- आर्द्रक – अदरक
- इष्टिका – ईंट
- उज्ज्वल – उजला
- एकत्र – इकट्ठा
- ऋक्ष – रीछ
- कच्छप – कछुआ
- चन्द्र – चाँद
- ताम्र – ताँबा
- प्रतिच्छाया – परछाई
- यमुना – जमुना
- स्वर्णकार – सुनार
- हास्य – हँसी
- क्षीर – खीर
तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के क्या नियम हैं?
- जिन तत्सम शब्दों के अंत भाग में ‘क्ष’ हो, उनके तद्भव शब्दों में ‘ख’ या ‘छ’ का प्रयोग होता है। जैसे –
- पक्षी – पंछी।
- तत्सम शब्दों के ‘श्र’ के स्थान पर ‘स’ का प्रयोग होता है। जैसे –
- धन्नश्रेष्ठ – धन्नासेठ।
- तत्सम में अधिकांशतः ‘श’ या ‘ष’ का प्रयोग होता है जबकि तद्भव में ज़्यादातर ‘स’ प्रयुक्त होता है। जैसे –
- दीपशलाका – दिया सलाई
- कृषक – किसान।
- तत्सम शब्दों में ‘ऋ’ की मात्रा (ृ) का प्रयोग होता है, जबकि तद्भव में इसके रूप बदल जाते हैं। तद्भव में ‘ऋ’ (ृ) का उच्चारण ‘रि’ की तरह किया जाता है।
- ऋछ – रीछ।
- तत्सम शब्दों में ‘र’ की तीन मात्राओं (ृ) ( ्) (र्र) का प्रयोग किया जाता है, लेकिन तद्भव में इन शब्दों के रूप बदल जाते हैं। जैसे –
- गृह = घर
- आम्र = आम
- कर्पट = कपड़ा।
आज हमारी बोलचाल की भाषा में अनेक दूसरे भाषाओं के शब्द शामिल हो चुके हैं। ये हमारे दैनिक जीवन में इतने घुल-मिल गए हैं कि हमें पता ही नहीं चलता कि हम कितने भाषाओं का एक साथ प्रयोग कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए – स्कूल, मोबाइल, इंटरनेट, दुकानदार, इत्यादि जैसे शब्द, आज हिन्दी भाषा के ही प्रतीत होते हैं। लेकिन वास्तव में ये अन्य देशों के (विदेशज) शब्द हैं। इन शब्दों को देख कर आप समझ पाएंगे कि हमारी हिन्दी, हमारे भारत देश की ही तरह हर किसी को अपना लेती है।
ठीक इसी प्रकार, आश्चर्य, परीक्षा, योगी इत्यादि जैसे शब्द भी हिन्दी के नहीं, वरन संस्कृत के शब्द हैं। लेकिन समय के साथ किसी भी भाषा में या तो नये शब्द शामिल होते जाते हैं या उनके रूप थोड़े-बहुत बदल जाते हैं।
Conclusion – हिंदी भाषा के रचना में तत्सम और तद्भव शब्द संस्कृत के शब्दों से मिलकर बनते हैं Tatsam Or Tatbhav Shabdon Ka Upyog संस्कृत के कार्यकाल और वैदिक शास्त्रों से शुरुआत हुई थी यहां पर आप Tatsam Tatbhav Ki Paribhasha, उनके भेद और उदाहरण पढ़ सकते हैं .
FAQs About Tatsam Or Tatbhav Shabd Kya Hain
Q1. तद्भव शब्द से आप क्या समझते हैं ?
Ans : वह शब्द जो संस्कृत से लेकर वैसे ही उन्हें प्रकट किया जाता है वे संस्कृत में थोड़ा परिवर्तन होते हैं उन्हें Tatbhav Shabd Kahate Hain
Q2. तत्सम शब्द से आप क्या समझते हैं ?
Ans : वह शब्द जो संस्कृत की भाषा से बिना परिवर्तित हुए शब्द लिए जाते हैं उसे Tatsam Shabd Kahate Hain
Q3. भाई का तत्सम शब्द क्या होता है ?
Ans : भाई का तत्सम शब्द भ्राता होता है।