Varn Kise Kahate Hain – वर्ण की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Varn Kise Kahate Hain – ध्वनियों के वे मौलिक और सूक्ष्मतम रूप जिन्हें और विभाजित नहीं किया जा सकता है, उन्हें Varn Kahate Hain. वर्ण के मौखिक रूप को ध्वनि एवं लिखित रूप को अक्षर कहते हैं।

Varn Ke Udaharan – क् , ख्, ग् , अ, ए इत्यादि।

किसी शब्द को अगर हम विभाजित करें तो हमें इसमें छिपे हुए वर्णों का पता चल जाएगा। उदाहरण के लिए – सभा = स् + अ + भ् + आ ।

Varnamala Kya Hoti Hain – Varnamala Ki Paribhasha

विश्व भर की सभी भाषाओं की अपनी Varnamala है। इनके आधार पर ही किसी भी भाषा का साहित्य निर्भर होता है। साधारण शब्दों में समझें तो यह भाषा के सभी अक्षरों का समूह है।

इसलिए व्याकरण के दृष्टिकोण से वर्णमाला की परिभाषा निम्न प्रकार से दी जाती है:

“हिन्दी भाषा के समस्त वर्णों के क्रमबद्ध समूह को Varnamala कहा जाता है।“

एक विदेशी भाषा अँग्रेजी के उदाहरण से इसे समझें तो जिस प्रकार A, B, C, D के 26 अक्षरों को Alphabet के रूप में पढ़ा जाता है, ठीक उसी प्रकार हिन्दी के ‘क, ख, ग, घ’ को वर्णमाला के रूप में पढ़ा जाता है।

Types Of Varn In Hindi – वर्ण के भेद

हिन्दी भाषा या Hindi Grammar में दो प्रकार के वर्णों की विवेचना मिलती है। इन प्रकारों के अन्य भेद (रूप) भी होते हैं, जिनका हम विस्तार से अध्ययन करेंगे। लेकिन उससे पहले हम वर्ण-प्रकार के वृक्ष को देख लेते हैं।

  • स्वर वर्ण
  • मूल स्वर
  • ह्रस्व स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • प्लुत स्वर
  • संयुक्त स्वर
  • स्पर्श व्यंजन
  • अन्तःस्थ व्यंजन 
  • उष्म व्यंजन
  • संयुक्त व्यंजन

Swar Varn Kise Kahate Hain – स्वर वर्ण की परिभाषा

ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी भी अन्य वर्ण की जरूरत नहीं पड़ती है, उन्हें Swar Varn Kahate Hain स्वर वर्णों के उच्चारण के लिए कंठ और तालु का प्रयोग होता है।

इन वर्णों को बोलते समय होंठ और जीभ पर ज्यादा असर नहीं होता है। स्वर वर्ण 2 प्रकार के होते हैं: मूल स्वर एवं संयुक्त स्वर।

Mul Swar Kise Kahate Hain – मूल स्वर की परिभाषा

ऐसे Swar Varn जो अपने मौलिक या स्वतंत्र रूप में होते हैं, उन्हें मूल स्वर कहते हैं। कुछ मूल वर्णों में अन्य स्वर वर्णों का योग भी होता है। मूल स्वर के 3 भेद होते हैं:

Hasrav Swar Kise Kahate Hain – ह्रस्व स्वर की परिभाषा

वे स्वर वर्ण जिन्हें कम समय में ही उच्चारित किया जा सकता है, उन्हें  ह्रस्व स्वर कहा जाता है। इनकी संख्या सिर्फ 4 है – अ, आ, उ, ऋ ।

ध्यान रखें कि, ‘ऋ’ की मात्रा के रूप में (ृ) का प्रयोग होता है, लेकिन इसका उच्चारण ‘रि’ की तरह किया जाता है।

Dirgah Swar Kise Kahate Hain – दीर्घ स्वर की परिभाषा

जिन स्वर वर्णों के उच्चारण में अधिक समय लगता है, उन्हें Dirgah Swar कहा जाता है। इनकी संख्या कुल 7 है – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

Dirgah Swar 2 समान या भिन्न स्वर वर्णों के योग से बनते हैं। यही कारण है कि ह्रस्व स्वर की तुलना में इनके उच्चारण में दुगुना समय लगता है। उदाहरण के लिए,

  • आ = अ + अ 
  • ई = इ + इ 
  • ऊ = उ + उ 
  • ए = अ + इ
  • ऐ = अ + ए 
  • ओ = अ + उ 
  • औ = अ + ओ

Pluat Swar Kise Kahate Hain – प्लुत स्वर की परिभाषा

जिन Swar Varn Ke Ucharan में दीर्घ स्वर वर्णों से भी अधिक (तीन-गुना) समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहा जाता है। इसे ‘त्रिमात्रिक स्वर’ के नाम से भी जाना जाता है।

इसके चिह्न के लिए (ऽ) प्रयोग किया जाता है। नये पीढ़ी के कई विद्यार्थी कहते हैं कि यह अँग्रेजी के ‘S’ अक्षर की तरह दिखता है। लेकिन वास्तव में यह संस्कृत भाषा से लिया गया है।

प्लुत स्वर का प्रयोग किसी को पुकारने या शब्द को गहन भाव में कहने के लिए किया जाता है। जैसे – ओऽम्, सुनोऽऽ, राऽऽम इत्यादि। सामान्य तौर पर, हिन्दी भाषा में प्लुत स्वर का प्रयोग नही होता है। लेकिन वैदिक या संस्कृत भाषा में इसका काफी प्रयोग किया गया है।

Sanyukt Swar Kise Kahate Hain – संयुक्त की परिभाषा

जब 2 Mul Swar के संयोग से एक अन्य स्वर वर्ण का निर्माण होता है तो उसे संयुक्त स्वर कहा जाता है। इसके पहले भाग में एक ह्रस्व स्वर और दूसरे भाग में एक दीर्घ स्वर होता है।

Sanyukt Swar के उच्चारण में सामान्य से अधिक बल लगता है। इसकी संख्या सिर्फ 2 ही है, जिन्हें दीर्घ स्वर में भी शामिल किया जाता है।

  • ऐ = अ +ए
  • औ = अ +ओ

Vyanjan Varn Kise Kahate Hain – व्यंजन वर्ण की परिभाषा

स्वर वर्णों से युक्त आश्रित वर्णों को Vyanjan Varn कहा जाता है। व्यंजन वर्णों के अक्षर स्वतंत्र रूप में नहीं होते हैं, इनके उच्चारण के लिए Swar Varn की सहायता लेनी पड़ती है।

वर्णमाला के ‘क-वर्ग’ से लेकर ‘य-वर्ग’ एवं ‘श-वर्ग’ तक सभी व्यंजन वर्ण कहलाते हैं। इनकी कुल संख्या 33 है। प्रत्येक व्यंजन वर्ण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी होती है। 

  • क = क् + अ
  • ख = ख् + अ
  • ग = ग् + अ

Types Of Vyanjan Varn In Hindi – व्यंजन वर्ण के भेद

  • स्पर्श व्यंजन
  • अन्तस्ता व्यंजन
  • ऊष्मा व्यंजन
  • संयुक्त व्यंजन

Sparsh Vyanjan Kise Kahate Hain – Sparsh Vyanjan Ki Paribhashsa

ऐसे Vyanjan Varn जिन्हें उच्चरित करते समय हमारी जीभ, मुख के अन्य भागों जैसे – कण्ठ, तालु, मूर्द्धा, दन्त या ओष्ठ से स्पर्श करती है, उन्हें व्यंजन वर्ण कहा जाता है।

Sparsh Vyanjan को उच्चारण-स्थान के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बाँटा जाता है, इसलिए इन्हें ‘वर्गीय व्यंजन’ के नाम से भी जाना जाता है।

  • क वर्ग – क ख ग घ ङ (कण्ठ का स्पर्श)
  • च वर्ग – च छ ज झ ञ (तालु का स्पर्श)
  • ट वर्ग – ट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़) (मूर्धा का स्पर्श)
  • त वर्ग – त थ द ध न (दाँतों का स्पर्श)
  • प वर्ग – प फ ब भ म (होंठों का स्पर्श)

Antastha Vyanjan Kise Kahate Hain – Antastha Vyanjan Ki Paribhashsa

अन्तःस्थ शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है – ‘अन्तः (भीतर/बीच में) + स्थ (स्थित)। Antastha Varn के उच्चारण में ध्वनियाँ मुख के भीतर ही रह जाती है।

इनके उच्चारण का तरीका Swar Or Vyanjan के बीच सा होता है। इन्हें अर्द्धस्वर भी कहा जाता है। इनकी संख्या केवल 4 है – य, र, ल, व ।

Ushma Vyanjan Kise Kahate Hain – Ushma Vyanjan Vyanjan Ki Paribhashsa

ऐसे व्यंजन वर्ण जिन्हें उच्चरित करते समय कण्ठ से निकली वायु मुख के विभिन्न भागों से टकरा कर हल्की गरम हो जाती है, उन्हें Ushma Vyanjan Kahate Hai इनकी कुल संख्या केवल चार है – श, ष, स, ह ।

Sanyukt Vyanjan Kise Kahate Hain – Sanyukt Vyanjan Vyanjan Ki Paribhashsa

Sanyukt Swar Varn की तरह संयुक्त व्यंजन भी होते हैं। इनमें दो या दो से अधिक व्यंजन वर्णों का समावेश होता है, साथ ही स्वर वर्ण ‘अ’ भी जुड़ी होती है।

  • क्ष = क् + ष् + ह् + अ
  • त्र = त् + र् + अ
  • ज्ञ = ग् + य् + अ
  • श्र = श् + र् + अ

Varn Ki Matra – वर्णों की मात्रा

Swar Varn के योग के कारण, व्यंजन वर्णों के साथ स्वर-चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, जिसे वर्णों की मात्रा कहा जाता है। स्वर-चिह्नों की मात्राएँ केवल व्यंजन वर्णों के साथ ही प्रयुक्त होती हैं।

वर्ण की मात्राओं की संख्या कुल 10 होती है, जिन्हें – (ा) (े) (ै) (ो) (ू) इत्यादि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

वर्णों की मात्रा 2 प्रकार की होती है। इन्हें समझने के लिए अभी हम इनका प्रयोग सिर्फ ‘क’ अक्षर पर करके देखते हैं।

1.हस्व मात्रा (लघु मात्रा)

  • क + (ि) = कि
  • क + (ु) = कु
  • क + (े) = के
  • क + (ो) = को

2. दीर्घ मात्रा (गुरु मात्रा)

  • क + (ा) = का
  • क + (ी) = की
  • क + (ू) = कू
  • क + (ै) = कै
  • क + (ौ) = कौ

Conclusion : Varn In Hindi के इस लेख से आपको हिन्दी भाषा की आधारभूत संरचना समझ आयी होगी। साथ ही आपको ये भी समझ आया होगा कि क्यों हिन्दी भाषा एवं इसके व्याकरण को विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा कहा जाता है। हिन्दी विश्व की एकमात्र भाषा है जिसके वर्णों का अध्ययन एवं वर्गीकरण उनके उच्चारण, कण्ठ की वायु और मुख के भागों के आधार पर किया जाता है।

FAQs About Varn In Hindi Language

Q1. वर्ण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?

Ans : Varn हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होने वाली सबसे छोटी इकाई है और अक्षरों के समूह को Varnamala कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन होते हैं। अक्षरों (स्वर और व्यंजन) के उच्चारण के आधार पर हिंदी में 45 वर्ण हैं।

Q2. हिंदी के वर्ण को क्या कहते हैं?

Ans : Hindi Ke Varn को “अक्षर” भी कहते हैं

Q3. वर्णों के समूह को क्या कहते हैं?

Ans : वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

Q4. हिंदी में वर्णों की कुल संख्या कितनी है?

Ans : लेखन के आधार पर हिंदी में Varn Ki Sankhya 52 होती है

Q5. हिंदी वर्णमाला में व्यंजन की संख्या कितनी है ?

Ans : हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्णों में मूल व्यंजन की संख्या 33 है।

Q6. वर्ण कितने प्रकार के होते हैं उनके नाम?

Ans : हिंदी में वर्ण दो प्रकार के होते हैं स्वर और व्यंजन

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