Viram Chinh Kise Kahate Hain – विराम चिन्ह की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Viram Chinh Kise Kahate Hain – जब किसी वाक्य को लिखा जाता है तो उसके मध्यया अंत में जिन चिन्हो का प्रयोग किया जाता है वह चिन्ह Viram Chinh कहलाते है। विराम चिन्हो का प्रयोग करने से इस बात का पता चलता है की कौन से वाक्य को किस प्रकार से पढ़ना है और उस वाक्य का सही अर्थ क्या होगा। 

Definition Of Punctuation Mark In Hindi – विराम चिन्ह की परिभाषा

जब किसी वाक्य में हम अपने भावों का अर्थ स्पष्ट करने की चेष्टा करते है या किसी विचार और उसके प्रसंगो को व्यक्त करने के लिए हम रुकते है, तो इसे विराम कहा जाता है और इन विरामो को व्यक्त करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें ही Punctuation Mark कहा जाता है। 

Viram Shabd का अर्थ होता है रुकना या ठहरना अत : वाक्यों को बोलते समय या पढ़ते समय बीच में रुकना पड़ता है, जिससे भाषा स्पष्ट व अर्थपूर्ण होती है और यहीं पर विराम चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। नीचे आपको Viram Chinh Ke Udaharan देखने को मिल जायेंगे।

यदि इन Viram Chinh का सही स्थान पर प्रयोग न किया जाये तो वाक्यों का अर्थ बिलकुल ही बदल जायेगा और वाक्यों को अशुद्ध माना जायेगा जैसे – 

  •  देखो मत चले जाओ। 
  •  देखोमत चले जाओ। 
  • देखो मतचले जाओ। 

उपर्युक्त उदाहरणों में विराम चिन्हों के बिना और विराम चिन्हों के साथ प्रयोग किये गए वाक्यों का अर्थ कुछ इस प्रकार निकलता है – 

1. देखो मत चले जाओ – इस वाक्य में किसी भी प्रकार के चिन्ह का प्रयोग नहीं किया गया जिस कारण से इस वाक्य का सही अर्थ स्पष्ट नहीं हो रहा है, क्यूंकि इस वाक्य में दो कार्य एक साथ करने को कहे गए है जिस कारण Viram Chinh का लगना अनिवार्य है। इस वाक्य से यह प्रतीत होता है कि किसी को जल्दी जल्दी में जाने को बोला जा रहा है। 

2. देखो, मत चले जाओ – इस वाक्य में Viram Chinh Ka Upyog वाक्य के शुरू होते ही किया गया है लेकिन वाक्य का अर्थ सही से समझने के लिए आपको इसे ध्यान से पढ़ना होगा क्यूंकि इस वाक्य का अर्थ है “मत जाओ” लेकिन पहली बार इस वाक्य को पढ़ने पर ये प्रतीत हो रहा था की यह बोल रहा है की ‘चले जाओ” लेकिन विराम अल्पविराम के प्रयोग से इसका अर्थ ही बदल गया। 

इस वाक्य में पहले ‘देखने’ को बोला जा रहा है और फिर ‘मत जाओ’ बोला गया है। इस वाक्य से यह प्रतीत होता है कि कोई कहीं जा रहा है और उसे भावनात्मक रूप से ‘ न जाने’ को कहा जा रहा है। 

3. देखो मत, चले जाओ – इस वाक्य में Alapviram Chinh का प्रयोग वाक्य के मध्य में किया गया है जिससे इस तीसरे वाक्य का अर्थ दूसरे वाक्य से बिलकुल भिन्न हो गया है। इस वाक्य में कहा जा रहा है की “देखो मत” और यहाँ से “चले जाओ” 

इस वाक्य को पढ़ने से ऐसा प्रतीत होता है कि कोई सामने वाले को देख रहा है या कोई अन्य वस्तु देख रहा है और वह सामने वाला उसे कह रहा है कि ” देखो मत, चले जाओ। जैसे –  उस कार को देखो मत, चले जाओ, नहीं तो बीएस छूट जाएगी। 

उपर्युक्त दिए गए तीनो उदाहरणों के आधार पर हम कह सकते है कि अगर Viram Chinh का सही तरह से सही जगह प्रयोग न किया जाये तो वाक्यों का अर्थ बिलकुल ही बदल जाता है और उस वाक्य को समझना कठिन हो जाता है, इसलिए विराम चिन्हो का सही से इस्तेमाल करना आना चाहिए। 

Punctuation Mark List – Virma Chinh Ke Naam

  • अल्पविराम (Comma)( , ) 
  • अर्द्धविराम (Semi colon) ( ; ) 
  •  पूर्णविराम(Full-Stop) (  ) 
  • उपविराम (Colon) [ : ] 
  • विस्मयादिबोधकचिह्न (Sign of Interjection)( ! ) 
  • प्रश्नवाचकचिह्न (Question mark) ( ? ) 
  • कोष्ठक (Bracket) ( () ) 
  • योजकचिह्न (Hyphen) ( – ) 
  • अवतरणचिह्नयाउद्धरणचिह्न (Inverted Comma) ( ”… ” ) 
  •  लाघवचिह्न (Abbreviation sign) ( o ) 
  • आदेशचिह्न (Sign of following) ( :- ) 
  •  रेखांकनचिह्न (Underline) (_) 
  • लोपचिह्न (Mark of Omission)(…)

1. अल्पविराम  – अल्पविराम शब्द दो शब्दों के जोड़ से बना है – अल्प + विराम। जिसमे “अल्प” का अर्थ होता है “थोड़ा’ और” विराम” का अर्थ होता है ‘रुकना’ अर्थात जब किसी वाक्य में थोड़ा बहुत ठहराव करना हो तो Alapviram का इस्तेमाल किया जाता है जैसे – 

वाक्य : जब एक से अधिक संज्ञाओं को एक ही वाक्य में लगातार प्रयोग किया जाता है तो वहां पर भी अल्पविराम का प्रयोग होता है। 

उदाहरण : हिमाचल प्रदेश में शिमला, धर्मशाला, चम्बा, कुल्लू, मनाली आदि स्थान घूमने के लिए बहुत बढ़िया है। 

वाक्य : जब किसी सवांद को लिखा जाता है तो वहां पर भी अल्पविराम-चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

उदाहरण : राकेश ने दुकानदार को कहा,  ”तुम मुझे पानी दो, मैं तुम्हें पैसे दूँगा।”

वाक्य : जब किसी सवांद का लेखन किया जाता है तो वहां पर “हाँ” और “नहीं” के साथ भी भी अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

उदाहरण : राकेश : राहुल, तुम कल स्कूल जाओगे?

राहुल : हाँ, मै जाऊंगा। क्या तुम जाओगे?

राकेश : नहीं, मैं परसो जाऊंगा। 

अल्पविराम के कुछ मुख्य नियम इस प्रकार हैं

  1. जब किसी वाक्य में शब्दों को दो या उससे अधिक बार दोहराया जाता है तो अल्पविराम का प्रयोग होता है। 
  2. वाक्य में जिस स्थान पर किसी व्यक्ति को सम्बोधित किया जाये वहां भी अल्पविराम लगाया जाता है। 
  3. वाक्य में किसी व्यक्ति द्वार कही बात को बताने से पहले भी अल्पविराम का इस्तेमाल किया जाता है। 
  4. जिन वाक्यों का  बस, हाँ, नहीं, सचमुच, अतः, वस्तुतः, अच्छा – जैसे शब्दों से आरम्भ हो वहां पर भी अल्पविराम का इस्तेमाल किया जाता है। 
  5. वाक्य में तारीख के साथ महीने का नाम लिखने के बाद तथा सन्, संवत् के पहले अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। 
  6. अंको को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे- 5, 6, 7, 8, 9, 10, 15, 20, 60, 70, 100 आदि।

2. अर्द्धविराम  – जब किसी वाक्य में अल्पविराम से अधिक ठहराव दिखाना हो और पूर्णविराम से कम तो वहां अर्द्धविराम का इस्तेमाल किया जाता है। दो उपवाक्यों को जोड़ने वाले चिन्ह को Aaradhviram Chinh कहा जाता है

Aaradhviram Chinh Ke Udaharan :

  • वह एक अच्छा छात्र है ; ऐसा उसके अध्यापक मानते है। 
  • चोर उसकी चैन उड़ा ले गए ; किसी ने कुछ नहीं कहा। 
  • दुकान बंद है ; कारोबार ठप है ; बेकारी फैली है ; उसके घरमे हाहाकार है।
  • कल रविवार है; छुट्टी का दिन है; आराम मिलेगा।

3. पूर्णविराम – जब कोई वाक्य पूरा हो जाता है तो उसके बाद पूर्णविराम चिन्ह लगाया जाता है। पूर्णविराम का प्रयोग वाक्य की शुरुआत में या मध्य में नहीं किया जा सकता Purnviram Chinh का प्रयोग किसी भी वाक्य में अंत में किया जाता है। पूर्णविराम का अर्थ होता है की अब इस वाक्य पर पूरी तरह से विराम है और अगले वाक्य को अल्पविराम और अर्धविराम से अधिक ठहराब के साथ पढ़ा जायेगा। 

Purnviram Chinh Ke Udaharan :

कल मैं स्कूल जा रहा था। वहां पर कुछ लड़के, लड़किओं को छेड़ रहे थे। और उन्हें कोई कुछ नहीं बोल रहा था। क्यूंकि वह अमीर लोग है ; सब ऐसा मानते है। जबकि मुझे लगता है वह गलत था। 

पूर्णविराम का दुष्प्रयोग

पूर्णविराम के प्रयोग में सावधानी न रखने के कारण वाक्य का अर्थ बदल सकता है इसलिए निम्रलिखित उदाहरण में अल्पविराम लगाया गया है – 

आप मुझे नहीं पहचानते, महीने में दो ही घर पर रहता हूँ। 

यहाँ ‘पहचानते’ के बाद अल्पविराम के स्थान पर पूर्णविराम का चिह्न लगाना चाहिए, क्योंकि यहाँ पिछले वाक्य (आप मुझे नहीं पहचानते) पूरा हो गया है। यहाँ दूसरा वाक्य पहले से बिलकुल स्वतंत्र है।

4. उपविराम – जब वाक्य पूरा नहीं होता, बल्कि किसी अन्य वस्तु की के बारे में बताया जाता है, तो वहां पर उपविराम चिन्ह का को प्रयोग में लाया जाता है

Upviram Chinh Ke Udaharan :

भगवान शिव के अनेक नाम है : शम्भु, महादेव आदि। 

5. विस्मयादिबोधकचिह्न – जब किसी वाक्य में हर्ष, विवाद, विस्मय, घृणा, आश्रर्य, करुणा, भय इत्यादि का बोध करवाना हो वाक्य में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

Vismayadbodhak Chinh Ke Udaharan :

  • वाह ! आपके हाथ का खाना तो बहुत स्वादिष्ट है। 
  • ओह ! वो बेचारा परीक्षा में फ़ैल हो गया। 

6. प्रश्नवाचकचिह्न – जब किसी वाक्य में किसी प्रकार का प्रश्न पूछा जाता है तो, वहां पर प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है

Prashanavachan Chinh Ke Udaharan :

  • आप कहाँ जा रहे हो? 
  • आप हिमाचल से कब आए?

इस चिह्न का प्रयोग वाक्य में संदेह प्रकट करने के लिए भी उपयोग किया जाता है; जैसे- क्या कहा, वह आलसी (?) है।

7. कोष्ठक –  जब किसी वाक्य के बीच ऐसे शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका एक और अर्थ है तो वहां पर कोष्ठक के मध्य उस शब्द का दूसरा अर्थ लिखा जाता है।

Koshthak Chinh Ke Udaharan :

हिंदी के विद्यार्थी को शुद्ध (स्पष्ट) हिंदी बोलनी आनी चाहिए। 

8. योजकचिह्न  – दो शब्दों के मध्य के संबंध को पर्दर्शित करने के लिए Yojak chinh का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदी में अल्पविराम के बाद योजक चिह्न का प्रयोग सबसे अधिक होता है।

Yojak chinh Ke Udaharan :

  • उसके माता-पिता उसे अपना सुख-दुःख का साथी मानते है। 
  • सम्पूर्ण भारत वासिओं को आपस में प्रेम-भाव से रहना चाहिए। 

9. अवतरणचिह्न – किसी के द्वारा कही गई बात का उसी तरह से लेखन करने के लिए अवतरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है

Avataran chinh Ke Udaharan :

श्री कृष्ण ने कहा है, “कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो।”

10. लाघवचिह्न – जब किसी प्रसिद्ध शब्द या किसी बड़े शब्द को लिखा जाता है तो उसके आगे शून्य लगा दिया जाता है, उस शून्य को ही लाघव चिन्ह कहा जाता है। 

Laghav chinh Ke Udaharan :

  • डॉंक़्टर का लाघव-चिह् – डॉंo
  • प्रोफेसर का लाघव-चिह्न – प्रो०

11. आदेशचिह्न –  जब किसी विषय क्रम को लिखना होता है तो विषय-क्रम व्यक्त करने से पहले आदेश चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

Aadeshchinh Ke Udaharan :

लिंग के दो भेद है :- (1) स्त्रीलिंग (2) पुल्लिंग। 

12. रेखांकनचिह्न –  रेखांकन चिह्न का प्रयोग किसी विशेष वाक्य या शब्द को रेखांकित करने लिए किया जाता है जैसे कि निचे का पूरा वाक्य ही विशेष है इसलिए उसके निचे रेखांकन चिह्न लगाया गया है – 

Rekhachinh Ke Udaharan :

मुझे अपने देश पर गर्व है। 

13. लोपचिह्न  : वाक्य या अनुच्छेद (पैराग्राफ) में जब थोड़े अंश (शब्दों) को छोड़कर लिखना हो तो लोप चिन्ह का इस्तेमाल इस्तेमाल किया जाता है।

Lopchinh Ke Udaharan :

रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है, ”परीक्षा की घड़ी आ गई है …. हम करेंगे या मरेंगे” ।

Conclusion – जब हम हिंदी की भाषा में कोई वाक्य लिखते हैं तब कई प्रकार के चिन्ह का उपयोग होता है उसमें से एक चिन्ह का नाम है Viram Chinh, इसका उपयोग जब हम किसी वाक्य का अंत हो जाता है तब करते है आप Viram Chinh Ki Paribhasha, Bhed, Examples के साथ पढ़ सकते है।

FAQs About Viram Chinh Kise Kahate Hain

Q1. विराम चिन्ह क्या होते हैं ?

Ans : वाक्य के अंत में उपयोग होने वाले चिन्ह जो डंडी (।) की तरह होते हैं उन्हें Viram Chinh कहते हैं .

Q2. विराम चिन्ह का दूसरा नाम क्या है ?

Ans : Viram Chinh का दूसरा नाम विश्राम चिन्ह है।

Q3. विराम चिन्ह के तीन वर्ग कौन से होते हैं ?

Ans : विराम चिन्ह के तीन वर्ग है – संतुलित, प्रतीकरण और अंत।

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