Karak Kise Kahate Hain In Hindi – कारक के बारे में लोगों को अक्सर गलतफहमियाँ रहती है। कई लोगों को लगता है कि ‘ने, से,को, में,पर’इत्यादि ही कारक हैं। पर ऐसा नहीं हैं, ये कारक चिह्न हैं, कारक नहीं। इसलिए कारक को समझने से पहले हम कारक चिह्नों को समझ लेते हैं।क्यूंकि कारक चिन्हों को समझे बिना कारक का अर्थ समझ पाना एक कठिन कार्य है।
Karak Ke Chinh – कारक चिह्न क्या होते हैं?
हिन्दी व्याकरण में कारक चिह्नों को ही परसर्ग चिह्न या विभक्ति चिह्न के नाम से भी जाना जाता है। ये चिह्न कारकों को सूचित करने का काम करते हैं। की कौन सा वाक्य किस जगह अन्य वाक्य से मिला है।
कुछ मुख्य कारक चिह्न हैं – ने, को, से, पर, के लिए इत्यादि।
संज्ञा अथवा सर्वनाम को क्रिया से जोड़ने वाले शब्द चिह्न अथवा परसर्ग ही कारक चिह्न कहलाते हैं।
वाक्य के बारे में आप ये तो जानते ही होंगे कि कोई भी वाक्य एक या एक से अधिक संज्ञा शब्दों, कर्म और क्रिया शब्दों के मेल से बनता है। जिनमें आपस में संबंध होता है। प्रत्येक संज्ञा शब्द क्रिया शब्दों के साथ जुड़ा होता है, तभी वाक्य सार्थक हो पाता है।
उदाहरण के लिए,
· संध्या ने मोबाइल का रीचार्ज कराया।
इस वाक्य में संध्या (कर्ता) का मोबाइल (कर्म) और रीचार्ज (क्रिया) आपस में एक-दूसरे से संबन्धित हैं।
Karak Kise Kahate Hain In Hindi – कारक की परिभाषा
संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वो रूप, जिससे वाक्य के अन्य शब्दों का संबंध का बोध हो, उसे ही Karak Kahate Hain दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि, जब संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के आगे ने, को, से इत्यादि जैसे कारक चिह्न लग जाते हैं, तब उन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का रूप बदल कर कारक बन जाता है।
उदाहरण के लिए –
आनंद महिंद्रा ने अपने मैनेजरों से अच्छा काम करवाया।
इस वाक्य में ‘आनंद महिंद्रा’,‘मैनेजरों से’ और ‘कम्पनी’ संज्ञा शब्दों के रूपांतर हैं,जिनसे‘काम करवाया’ क्रिया शब्द का संबंध है। पूरे वाक्य में हर एक शब्द एक दूसरे का पूरक है।
इस पंक्ति में “ने, से” जैसे शब्दों ने अनेक शब्दों को आपस में जोड़ दिया है। अगर ये न हो तो शब्दों का तालमेल टूट जाएगा, और वाक्य निरर्थक हो जाएगा।
Vibhakti Kise Kahate Hain – विभक्ति या परसर्ग क्या हैं?
जिन शब्द पदों के द्वारा कारक की स्थिति का बोध होता है, उसे विभक्ति, परसर्ग या कारक चिह्न कहते हैं। ऐसे शब्द संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध स्थापित करते हैं।
जैसे–सुनैना अपने भाई के लिए चॉकलेट लेकरआयी।
इस वाक्य में सुनैना कारकीय पद हैं और ’के लिए’ विभक्तिया कारक सूचक चिन्हहै।ऐसे वाक्यों में संज्ञाओं का क्रिया से संबंध व्यक्त करने के लिए कुछ चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।
जैसे–ने,को,से,के लिए, में इत्यादि।
Karak Ka Arth – कारक का क्या अर्थ है?
कारक के अर्थ को सरल शब्दों में समझा जाए तो इसका मतलब है – किसी कार्य को करने वाला। वाक्य में जिसका संबंध सीधे तौर पर क्रिया से होता है, उसे ही कारक कहते हैं।
किसी वाक्य में प्रयोग किए गए संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का, उस वाक्य की क्रिया से जो संबंध होता है, वही कारक कहलाता है। कारक किसी भी क्रिया को सम्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है।
कारक ज़्यादातर स्वतंत्र रूप में मौजूद होते हैं। ये संज्ञा और सर्वनाम का प्रतिरूप होते हैं।
Karak Ke Udaharan – कारक उदाहरण
- कंगना पहाड़ों के बीच रहती है।
- सुशांत रोज सुबह नदी के किनारे आते हैं।
Karak Ke Bhed – कारक के प्रकार
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
1) कर्ता कारक
यह कारक समझने में सबसे आसान है। कर्ता के शाब्दिक अर्थ से ही समझ आता है – किसी कार्य करने वाला कोई व्यक्ति या वस्तु।
संज्ञा या सर्वनाम के वो शब्द जो किसी वाक्य में किसी क्रिया को सम्पन्न करते हैं, उन्हें कर्ता कारक कहा जाता है। इन शब्दों से किसी कार्य को करने वाले का बोध होता है।
इसका मुख्य कारक चिह्न है –‘ने’। लेकिन जरूरी नहीं है कि यह चिह्न आपको हर वाक्य में देखने को मिले।
उदाहरण के लिए –
- रिचा ने ईमेल भेज दिया।
- रिचा ईमेल भेजती है।
इन दोनों वाक्यों में रिचा ही कर्ता है। लेकिन एक वाक्य में ‘ने’ चिह्न का प्रयोग हुआ है पर दूसरे में नहीं।कभी-कभी वाक्य में कर्ता कारक ‘ने’ चिह्न के बजाय ‘को’के रूप में प्रस्तुत होता है। जैसे –
विशाल को आज छुट्टी ले लेना चाहिए था।
2) कर्म कारक (Karm karak)
किसी वाक्य में जब क्रिया का फल मुख्य कर्ता पर न होकर, कर्म पर पड़े तो इसे कर्म कारक कहा जाता है। कर्म वाले शब्द संज्ञा भी हो सकते हैं और सर्वनाम भी।
दूसरे शब्दों में आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं,वह व्यक्ति या वस्तु जिस पर वाक्य में की गयी क्रिया का प्रभाव पड़े, वैसे शब्द कर्म कारक कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए,
वह औरत अपने बच्चे को सुला रही है।
इसमें कर्ता वह औरत है लेकिन सोने की क्रिया का प्रभाव बच्चे पर पड़ रहा है।
मेरे दोस्त ने कुत्ते को बिस्किट खिलाया।
यहाँ भी मुख्य कर्ता मेरा दोस्त है लेकिन बिस्किट खाने की क्रिया का फल कुत्ते पर पड़ रहा है।
3) करण कारक
करण का शाब्दिक अर्थ ‘साधन’ या ‘माध्यम’ होता है। संज्ञा या सर्वनाम के जिन शब्दों से ये पता चलता है कि क्रिया किस साधन या माध्यम से हुई है, उन्हें करण कारक कहा जाता है।
करण कारक के शब्दों से पता चलता है कि किसी कार्य को किस चीज की सहायता से अंजाम दिया गया है।
उदाहरण के लिए –
- मेरे बॉस अपनी कार से ऑफिस जाते हैं।
- मैंने ब्रैड पर चाकू से बटर लगाया।
करण कारक अन्य कारकों से थोड़ा अलग है। इसमें अन्य सभी कारकों से छूटे हुए शब्द या प्रत्यय भी आ जाते हैं।
अपादान कारक और करण कारक दोनों में ही ‘से’ का प्रयोग होता है। लेकिन अंतर ये है कि करण कारक में ‘से’ का अर्थ साधन या माध्यम होता है। जबकि अपादान कारक में ‘से’ का तात्पर्य अलग होने से है, जिसे आप अभी आगे पढ़ेंगे।
4) सम्प्रदान कारक
सम्प्रदान का शाब्दिक अर्थ है – देना। इसलिए जब किसी वाक्य में किसी को कुछ देने या किसी के लिए कोई कार्य करने का पता चले तो उन शब्द रूपों को संप्रदान कारक कहा जाता है।
हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं – जब किसी के लिए कोई क्रिया या काम की जाती है तो ऐसे समय में संज्ञा या सर्वनाम के शब्द रूप सम्प्रदान कारक बन जाते हैं।
इसके मुख्य विभक्ति चिह्न हैं – ‘को’ और ‘के लिए’।
उदाहरण के लिए –
- कर्मचारियों को उनका वेतन दे दो।
- शैलेष की माँ उसके लिए केक लेकर आयी।
5) अपादान कारक
अपादान का शाब्दिक अर्थ है –अलग होना। अतः अपादान कारक का तात्पर्य संज्ञा या सर्वनाम के उन शब्द रूपों से है जिनसे किसी व्यक्ति या वस्तु के अलग होने का पता चलता है।
इस कारक का मुख्य परसर्ग चिह्न है –‘से’।
उदाहरण के लिए –
- यहाँ की सभी गाडियाँ इसीशोरूम से निकलती है।
- फाइलें टेबल से नीचे गिर गयी।
6) सम्बन्ध कारक
जिन शब्दों से दो या दोसे अधिक संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के बीच के संबंध पता चलता है,उन्हें संबंध कारक कहा जाता है।ऐसे शब्द रूपों से किसी एक व्यक्ति/वस्तु का दूसरे व्यक्ति/वस्तु के साथ संबंध का बोध होता है।
संबंध कारका के मुख्य कारक चिह्न हैं: का,की,के,र,रे,री इत्यादि।
संबंध कारक के शब्द चिह्नों से अधिकार,कर्तव्य,कार्य-करण,मूल्य-भाव या परिणाम का भी पता चलता है।
उदाहरण के लिए –
- मेरे ऑफिस की छत ऊँची है।
- वो भी भारत देश का ही है।
- सभी सोने के बिस्किट,बैंक के लॉकर में है।
- 2 करोड़ का निवेश और 50 लाख की मार्केटिंग।
7) अधिकरण कारक
अधिकरण पद का शाब्दिक अर्थ है –किसी क्रिया के घटित होने का आधार। इसलिए अधिकरण कारक का तात्पर्य उस आधार,स्थान या समय से है जहाँ पर कोई क्रिया घटित होती है।
दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि संज्ञा या सर्वनाम के जिन शब्दों से क्रिया के स्थान,समय या आधार का पता चलता है,उसे ही अधिकरण कारक कहा जाता है।
अधिकरण कारक के स्वरूप के मुख्य कारक चिह्न हैं – ‘में’,‘पर’ और ‘को’।
उदाहरण के लिए –
- मेरे बेडरूम की दीवार पर एक पेंटिंग टंगी है।
- लोग मेट्रो में सफर कर रहे हैं।
- पार्टी रात को होगी।
8) संबोधन कारक
जब किसी वाक्य में, किसी वक्ता द्वारा जिस किसी संज्ञा या सर्वनाम को सम्बोधन के लिए प्रयोग किया जाता है, उसे सम्बोधन कारक कहा जाता है।
ऐसी परिस्थिति में संज्ञा या सर्वनाम के पद से किसी के पुकारने का भाव मिलता है। ऐसे वाक्यों में सम्बोधन के लिए, या संज्ञा/सर्वनाम के पदों के पहले ‘अरे, हे,रे’ इत्यादि शब्द लगाए जाते हैं। ऐसे शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने के लिए किया जाता है।
सामान्य तौर पर ऐसे शब्दों के बाद विस्मयादिबोधक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए –
- हे ईश्वर! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
- अरे वाह! ये तो बढ़िया हो गया!
लेख का समापन
हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप कारक और इसके प्रकार के साथ-साथ कारक चिह्नों को भी अच्छे से समझ गए होंगे। हमने पूरे लेख को सरल शब्दों में समझने की कोशिश की है और पारंपरिक उदाहरणों के बजाय आज के आधुनिक घटनाओं का जिक्र किया है। आशा है, आपको पसंद आई होगी।
Conclusion – कारक एक ऐसा शब्द होता है जो क्रिया करने को कहा जाता है यह संज्ञा और सर्वनाम के संबंध को प्रकट करते हैं यहां पर कारक संबंधित सभी जानकारी आसान शब्दों में Karak Ki Paribhasha, Bhed Aur Udaharan बताये गए है।
FAQs About Karak Kya Hai In Hindi
Q1. कारक किसे कहते हैं?
Ans : जो संज्ञा और सर्वनाम के क्रिया को जोड़ते हैं उन्हें Karak Kahate Hain, कारक को परसर्ग भी कहा जाता है।
Q2. कारक की पहचान कैसे होती है ?
Ans : जो संज्ञा और सर्वनाम के संबंध में दूसरे वाक्य से पता चलते हैं, वह कारक की पहचान होती है।
Q3. कारक के चिन्ह को किस नाम से पुकारा जाता है ?
Ans : Karak Ke Chinh को परसर्ग नाम से पुकारा जाता है।
Q4. 7 कारक कौन-कौन से होते हैं ?
Ans : Karak 7 Hote Hain –
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
Q5. कारक के किसकी सहायता से प्रकट करते है ?
Ans : Karak को प्रकट करने या दर्शाने के लिए विभक्ति चिन्ह का उपयोग किया जाता है।