Chhand Kise Kahate Hain – क्या आप जानते है कि छन्द क्या होता है और छन्द का प्रयोग वाक्य में क्यो किया जाता है। काव्य में छन्द का प्रयोग काव्य की सुंदरता तथा काव्य को आकर्षित बनाने के लिए किया जाता है। इस आर्टिकल Chhand In Hindi में हम Chhand Ki Paribhasha, Bhed Aur Niyam तथा छन्द के प्रकार के बारे में पढ़ेंगे।
Chhand Kise Kahate Hain – छन्द की परिभाषा
हिंदी साहित्य में अक्षरों अथवा वर्णो की संख्या, क्रम, मात्र – गणना, मात्रा, गति और यति इत्यादि के नियमों के हिसाब से जो पद्य रूपी रचना की जाती है उसे Chhand Kahate Hain छन्द को पिंगल के रूप में भी जाना जाता है।
साधारण भाषा में कहे तो जिन काव्य को वर्णो अथवा मात्राओं यदि – गति, तुक, लय तथा गणओ का विशेष ध्यान रखकर रचना की गई हो वह छन्द कहलाता है।
Chhand Examples In Hindi – छन्द के उदाहरण
धन्य जनम जगती-तल तासू।
पितहि प्रमोद चरति सुनि जासू।।
चारि पदारथ कर-तल ताके।
प्रिय पितु-मात प्रान-सम सके।।
Chhand Ke Ang In Hindi – छन्द के अंग
छन्द के अंगों को सात प्रकार से विभाजित किया गया है जो कि आप निम्नलिखित देख सकते हैं।
- चरण और पद
- वर्ण और मात्रा
- मात्रा
- यति
- गति
- तुक
- गण
1. चरण और पद
किसी भी छन्द में चार चरण होते हैं, चरण को पाद भी कहा जाता है तथा प्रत्येक पाद में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है।
चरण के प्रकार
- सम चरण
- विषम चरण
(अ). सम चरण
दूसरे तथा चौथे चरण को सम चरण के रूप में जानते हैं।
(ब). विषम चरण
पहले तथा तीसरे चरण को विषम चरण के रूप में जानते हैं।
2. वर्ण और मात्रा
छन्द में प्रयोग होने वाले वर्णों को गणना के हिसाब से प्रयोग किया जाता है। प्रयोग किये गए इन्ही शब्दो के समूह को छन्द कहते हैं।
वर्ण के प्रकार मात्रा के हिसाब से
- लघु या ह्रस्व स्वर
- गुरु या दीर्घ स्वर
(अ) लघु या ह्रस्व स्वर
जिनमे छोटी मात्राओं का प्रयोग किया जाता है उन्हें लघु या ह्रस्व स्वर कहते हैं।
(ब) गुरु या दीर्घ स्वर
जिनमे बड़ी मात्राओ का प्रयोग किया जाता है उनको गुरु या दीर्घ स्वर कहते हैं।
3. छन्द में मात्रा का प्रयोग
किसी वर्ण का उच्चारण करते समय जितना समय लगता है उसको मात्रा कहा जाता है।
4. छन्द में यति का प्रयोग
जब हम पद्य का पाठ करते है तो उसमें गति को धीमा करके जो विश्राम दिया जाता है वह यति कहलाता है। अर्थात पाठ करते समय जब कुछ क्षण का विश्राम लिया जाता है वह यति कहलाता है। यति के लिए (,), (?), (!) चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
5. छन्द में गति की भूमिका
पद्य को पढ़ते समय उसमे जो वहाव होता है उसको पद्य की पति कहा जाता है। अर्थात किसी छन्द अथवा काव्य को पढ़ते समय जो प्रवाह का अनुभव किया जाता है उसको लय अथवा गति कहते हैं।
6. छन्द तुक की भूमिका
छन्द में जब समान उच्चारण वाले वाक्यों का प्रयोग किया जाता है उनको ही तुक कहा जाता है। तुक के दो भेद होते हैं।
- तुकांत कविता
- अतुकांत कविता
7. छन्द में गण की भूमिका
वर्णों की सख्या, क्रम तथा मात्राओ की सुविधा के लिए तीन वर्णो का समूह गण कहलाता है। एक गन तीन वर्णों से मिलकर बनता है तथा इनकी संख्या 8 होती है।
तगण, लगण, यगण, रगण, भगण, जगण, नगण, सगण इत्यादि।
Chhand Ke Bhed In Hindi – छन्द के प्रकार
छन्द को मुख्यतः चार प्रकार से विभाजित किया गया है जो कि निम्नलिखित दिए गए हैं।
- मात्रिक छंद
- वर्णिक छंद
- वर्णिक वृत छंद
- मुक्त छंद
1. मात्रिक छंद
जिस पद्य काव्य की रचना मात्रा की गणना के हिसाब से की गई हो उसे मात्रिक छन्द कहते हैं। मात्रिक छन्द तीन प्रकार के होते हैं।
मात्रिक छंद के प्रकार
- सममात्रिक छंद
- अर्धमात्रिक छंद
- विषममात्रिक छंद
- प्रमुख मात्रिक छंद
- दोहा छंद
- सोरठा छंद
- रोला छंद
- गीतिका छंद
- हरिगीतिका छंद
- उल्लाला छंद
- चौपाई छंद
- बरवै (विषम) छंद
- छप्पय छंद
- कुंडलियाँ छंद
- दिगपाल छंद
- आल्हा या वीर छंद
- सार छंद
- तांटक छंद
- रूपमाला छंद
- त्रिभंगी छंद
वर्णिक छंद
जिन छन्दों की रचना क्रम के आधार पर तथा वर्णो के आधार पर की जाती है वह वर्णिक छन्द कहलाते हैं।
- प्रमुख वर्णिक छंद
- सवैया छंद
- कवित्त छंद
- द्रुत विलम्बित छंद
- मालिनी छंद
- मंद्रक्रांता छंद
- इंद्र्व्रजा छंद
- उपेंद्रवज्रा छंद
- अरिल्ल छंद
- लावनी छंद
- राधिका छंद
- त्रोटक छंद
- भुजंग छंद
- वियोगिनी छंद
- वंशस्थ छंद
- शिखरिणी छंद
- शार्दुल विक्रीडित छंद
- मत्तगयंग छंद
वर्णिक वृत छंद
वर्णिक वृत छंद में चार चार चरण होते हैं तथा प्रत्येक चरण में लघु तथा दीर्घ (गुरु) का क्रम निश्चित होता है। यही वर्णिक वृत छंद कहलाता है।
जैसे :- मत्तगयन्द सवैया।
मुक्त छंद
काव्य में प्रयोग होने वाले ऐसे छन्द जिनमे छन्दों तथा मात्राओ में किसी भी प्रकार का कोई बंधन नहीं होता है अर्थात ऐसे छन्द जो वर्णो तथा मात्राओ से मुक्त होते हैं मुक्त छन्द कहलाते हैं।
जैसे –
वाणी, यह क्या हो गया है आपको?
यह तो सभी को दिख रहा है कि यह हायकू नहीं है।
Conclusion – छंद एक प्रकार का एक संस्कृत शब्द है, जो प्राचीन समय से ही प्रचलित हुआ है छंद में काव्य के लय और रंजीकता शामिल होते है, यहां पर आप छंद विषय से जुड़े हुई सभी जानकारी जैसे Chhand Kise Kahate Hain, Chhand Ke Bhed Aur Niyam आदि पढ़ सकते हैं।
FAQs About Chhand Kya Hai In Hindi
Q1. छंद किसे कहते हैं ?
Ans : हिंदी रचना में अक्षरों की संख्या गणना और यति गति को जो हम क्रमबद्ध तरीकों से लिखते हैं, उसे Chhand Kahate Hain.
Q2. छंद का दूसरा नाम क्या है ?
Ans : Chhand Ka Dusra Naam पिंगल है, छंद शब्द का अर्थ होता है अहादित करना या खुश करना।
Q3. छंद के कुल कितने भाग होते हैं
Ans : छंद के कुल चार भाग होते हैं – मात्रिक, वर्णिक, वृत्त और मुक्त।
Q4. छंद की पहचान कैसे होती है ?
Ans : हिंदी रचना में मात्रा और वर्णों की रचना और यति का नियम होता है, जिससे छंद की पहचान होती है।
Q5. छंद में कितने और कौन से गुण होते हैं ?
Ans : Chhand Mein 8 Gun Hote Hain – मगण, यगण, रगण, सगण, तगण, जगण, भगण, और नगण