Savabhoti Alankar Kise Kahate Hain – स्वभावोती अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण

Savabhoti Alankar Kise Kahate Hain – स्वभावोती अलंकार, अर्थालंकार का भेद होता है शोभावती का अर्थ होता है स्वभाविक वर्णन। इस आर्टिकल “Savabhoti Alankar In Hindi” में हम Savabhoti Alankar Ki Paribhasha, Bhed Aur Udaharan के बारे में जानेंगे इस अलंकार की संपूर्ण जानकारी आपको यहाँ पर मिल जाएगी।

Savabhoti Alankar Kise Kahate Hain – स्वभावोती अलंकार की परिभाषा

जब किसी वस्तु का स्वाभाविक वर्णन किया जाता है तो वहाँ स्वभावोती अलंकार होता है।

Savabhoti Alankar Examples In Hindi – स्वभावोती अलंकार का उदाहरण

मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली उर माल। 

यहि बानिक मो मन बसौ सदा बिहारीलाल।।

इस दोहे में कवि विहारी लाल जी कहते है कि हे कान्हा तुम्हारे सिर पर मोर का मुकुट हो, तुम्हारे गले मे माला हो, तुम्हारे हाथ मे मुरली हो और तुम जी पीली धोती पहनकर रखते हो तुम्हारा यह रूप मेरे मन मे हमेशा बसा रहता है।

Conclusion – स्वभावोती अलंकार में जो घटना घटित होती है उसे उसी रूप में दर्शाने का प्रयास रहता है यहां पर आप Savabhoti Alankar Ki Paribhasha Udaharan Sahit पढ़ सकते हैं।

FAQs About Savabhoti Alankar Kya Hai In Hindi 

Q1. स्वभावोती अलंकार क्या होते हैं ?

Ans : वह अलंकार जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति का स्वाभाविक रूप से वर्णन होता है, तो उसे Savabhoti Alankar Kahate Hain

Q2. स्वभावोती अलंकार की पहचान कैसे होती है ?

Ans : स्वभावोती अलंकार में जिस प्रकार से घटना घटित होती है उसी प्रकार से उनकी व्याख्या होती है जो कि Savabhoti Alankar Ki Pahchan Hain

Q3. स्वभावोती अलंकार का उद्देश्य क्या होता है ?

Ans : Savabhoti Alankar Ka Uddeshya स्वाभाविक रूप से व्याख्या करना होता है।

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