अर्थालंकार की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

शब्दो के अर्थ से होने वाले चमत्कार अथवा परिवर्तन को अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार, अलंकार का प्रमुख भाग होता है तथा यह बहुत महत्वपूर्ण अलंकार है इसलिए आज के इस लेख में हम अर्थालंकार की परिभाषा तथा इसके प्रकार के बारे में बारे में पढ़ने जा रहे है, इससे सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

अर्थालंकार की परिभाषा

अलंकार का ऐसा भेद जो उसमे प्रयुक्त किये गए शब्दो के अर्थ पर निर्भर करता है वह अर्थालंकार कहलाता है। साधारण भाषा मे कहे तो हिंदी साहित्य में अर्थगत चमत्कार अर्थालंकार कहलाता है, जहाँ पर शब्दो के अर्थ स्पष्ट हो वहाँ अर्थालंकार कहलाता है।

अर्थालंकार की परिभाषा के प्रकार

  • रूपक अलंकार
  • उपमा अलंकार
  • द्रष्टान्त अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • अतिश्योक्ति अलंकार
  • संदेह अलंकार
  • अनन्वय अलंकार
  • भ्रांतिमान अलंकार
  • उपमेयोपमा अलंकार
  • प्रतीप अलंकार
  • व्यतिरेक अलंकार
  • विभावना अलंकार
  • दीपक अलंकार
  • अपहृति अलंकार
  • उल्लेख अलंकार
  • विरोधाभाष अलंकार
  • विशेषोक्ति अलंकार
  • अर्थान्तरन्यास अलंकार
  • अन्योक्ति अलंकार
  • काव्यलिंग अलंकार
  • असंगति अलंकार
  • मानवीकरण अलंकार
  • स्वभावोती अलंकार

1. रूपक अलंकार

ऐसा अलंकार जिसमे गुणों की समानता के कारण उपमेय तथा उपमान में कोई भी समानता ना पायी जाए अथवा दोनो में अभिन्नता पायी जाए तो वह अलंकार रूपक अलंकार कहलाता है।

उदाहरण –

उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।

विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।

2. उपमा अलंकार

उपमा का अर्थ होता है तुलना करना, जब किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य वस्तु तथा व्यक्ति से जी जाती है तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।

उदाहरण –

सागर-सा गंभीर ह्रदय हो,

गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन।

3. द्रष्टान्त अलंकार

ऐसा अलंकार जिसमे दो सामान्य वाक्यों से बिम्ब तथा प्रतिविम्ब का भाव उत्पन्न होता है द्रष्टान्त अलंकार कहलाता है।

उदाहरण –

एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं।

4. उत्प्रेक्षा अलंकार

ऐसा अलंकार जिसमे उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान के रूप में मन लिया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार कहलाता है।

उदाहरण –

सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल

बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।

5. अतिश्योक्ति अलंकार

जहाँ पर उपमेय का वर्णन लोक सीमा से बढ़कर किया जाता है वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण –

हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।

सगरी लंका जल गई , गये निसाचर भागि।

6. संदेह अलंकार

जब उपमेय एवं उपमान में अधिक समानता होने के कारण उपमेय एवम उपमान में भिन्नता करना मुश्किल हो वहाँ पर संदेह अलंकार होता है।

7. अनन्वय अलंकार

जहा पर एक ही वस्तु को उपमेय एवम उपमान दोनो बना दिया जाता है वहा पर अनन्वय अलंकार होता है।

उदाहरण –

यद्यपि अति आरत-मारत है, भारत के सम भारत है।

8. भ्रांतिमान अलंकार

जिस अलंकार के उपमेय में उपमान के होने का भ्रम उत्पन्न हो जाता है वहा पर भ्रांतिमान अलंकार होता है।

उदाहरण –

पायें महावर देन को नाईन बैठी आय ।

फिरि-फिरि जानि महावरी, एडी भीड़त जाये।।

9. उपमेयोपमा अलंकार

इसमे उपमान को उपमेय तथा उपमेय को उपमान बनाने का प्रयास किया जाता है।

उदाहरण

तौ मुख सोहत है ससि सो अरु सोहत है ससि तो मुख जैसो।

10.प्रतीप अलंकार

प्रतीप का अर्थ होता है उल्टा, इस अलंकार में उपमा के अंगों में उलट फेर करके उपमान को उपमेय के रूप में दर्शाया जाता है।

11. व्यतिरेक अलंकार

इस अलंकार में किसी भी कारण का होना आवश्यक होता है। जहाँ पर उपमेय में उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने का कारण होता है वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है।

उदाहरण –

का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।

चांद कलंकी वह निकलंकू।।

12. विभावना अलंकार

विभावना का अर्थ होता है कल्पना अर्थात बिना कारण के कार्य करना। जहा पर कारण के स्पष्ट न होते हुए भी कार्य सम्पन्न हो वहाँ पर विभावना अलंकार होता है।

13. दीपक अलंकार

जिस अलंकार से दूर के पदार्थों एवं निकट के पदार्थों में का एकधर्म सम्बंध का वर्णन किया जाता है वहा पर दीपक अलंकार होता है।

14. अपहृति अलंकार

जहाँ पर किसी सही वस्तु अथवा बात को छिपाकर इसके स्थान पर किसी गलत वस्तु अथवा बात को प्रदर्शित किया जाता है तो वहाँ पर अपहृति अलंकार होता है।

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