Sakarmak Kriya Kise Kahate Hain – सकर्मक क्रिया की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

Sakarmak Kriya Kise Kahate Hain In Hindi – क्रिया हिंदी व्याकरण के सबसे महत्वपूर्ण भाग में से एक है जो कि हम पिछले आर्टिकल में पढ़ चुके हैं इस आर्टिकल “Sakarmak Kriya In Hindi With Examples” में हम सकर्मक क्रिया के बारे में पढ़ने वाले हैं साथ ही Sakarmak Kriya Ki Paribhasha, Sakarmak Kriya Ke Udaharan से समझेंगे। सकर्मक क्रिया आपके परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण विषय है अतः इसे ध्यानपूर्वक पढ़े।

Sakarmak Kriya Kise Kahate Hain – सकर्मक क्रिया की परिभाषा

ऐसी क्रिया जिस क्रिया के साथ कर्म होता है या कर्म होने की आवश्यकता होती है उसे Sakarmak Kriya Kahate Hain अर्थात ऐसी क्रिया जिसके साथ कर्म का प्रयोग किया जाना आवश्यक होता है तथा इसके बिना वाक्य का सम्पूर्ण अर्थ स्पस्ट नही हों पाता है। सकर्मक क्रिया में कर्म की प्रधनता हॉती है।

जैसे – वह खाना बनाता है।

इस वाक्य में बनाना एक सकर्मक क्रिया है तथा खाना एक कर्म है। यदि प्रश्न में खाना शब्द नही लिखा जाता है तो वाक्य का अर्थ सही नही निकलेगा अर्थात सकर्मक क्रिया के साथ कर्म की आवश्यकता होती है। अतः बनाना एक सकर्मक क्रिया होगी।

Sakarmak Kriya Examples In Hindi -सकर्मक क्रिया के उदाहरण 

  • रोहन चाय बनाता है।
  • राजेश स्कूल जाता है।
  • वह घर जा रहा है।
  • वह खाना खाता
  • सिवानी ने रोटियाँ बनाई है।
  • मोहित गाना गाना चाहता है।

Sakarmak Kriya Ke Bhed In Hindi – सकर्मक क्रिया के प्रकार

यदि हम सकर्मक क्रिया के प्रकार की बात करे तो इसके मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं-

  1. एककर्मक क्रिया
  2. द्विकर्मक क्रिया
  3. अपूर्ण क्रिया

1. एककर्मक क्रिया

ऐसी सकर्मक क्रिया जिनमे केवल एक कर्म के होने पर वाक्य का पूर्ण अर्थ निकाला जा सकता है, उन क्रियाओं को एककर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे – वह भाग रहा है। 

इस वाक्य में क्रिया के साथ सिर्फ एक कर्म वह का प्रयोग किया गया है जिसके अकेले होने के कारण भी वाक्य अर्थपूर्ण भाव दे रहा है, अतः यह एककर्मक क्रिया का उदाहरण है।

उदाहरण

  • वह गा रहा है।
  • वह घर जा रहा है।
  • कुत्ते भौक रहे हैं।
  • रवि नाच रहा है।

2. द्विकर्मक क्रिया

द्विकर्मक क्रिया से तात्पर्य है कि जिस वाक्य में दो कर्म होने के बाद वाक्य का अर्थ निकाला जा सके अर्थात क्रिया के साथ दो कर्मों की आवश्यकता होती है।

जैसे – राजा ने गरीबों में खाना बॉटा।

इस वाक्य में राजा कर्ता है तथा गरीब और खाना कर्म हैं और बॉटना इस वाक्य की क्रिया है। इस वाक्य में दो कर्मों का प्रयोग करने के बाद ही वाक्य का एक स्पष्ट अर्थ निकल कर आ रहा है, दो कर्मो के प्रयोग के बाद अर्थ के निकलने के कारण यह द्विकर्मक क्रिया के उदाहरण होने का प्रमाण है।

उदाहरण

  • मोहन ने गरीब लोगों को खाना खिलाया।
  • सन्तो ने राज शेखर को आशीर्वाद दिया।
  • रोहन अपने भाई के साथ खेल रहा है।
  • प्रशांत अपने पापा के साथ घूमने जा रहा है।

3. अपूर्ण क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया के होते हुए अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया स्पष्ट रूप से अर्थ ना दे सके वह क्रिया अपूर्ण क्रिया कहलाती है। इस वाक्य के अर्थ कोनपुर करने के लिए पूरक का प्रयोग करते हैं।

उदाहरण

1. महात्मा गांधी थे।

इस वाक्य में यदि हम महात्मा गांधी के साथ राष्ट्रपति लगते है तो इस वाक्य में स्पष्टता आ जायेगी।

2. तुम हो।

यदि हम इस वाक्य में बुद्धिमान शब्द का प्रयोग करते है तो यह वाक्य पूरी तरह से अर्थपूर्ण हो जाएगा।

Conclusion : सकर्मक क्रिया से जुड़ी हुई सभी जानकारी इस पेज “Sakarmak Kriya Ka Matlab” पर दी गई है यहां पर Sakarmak Kriya Ka Parichay, Sakarmak Kriya ke Prakar और Sakarmak Kriya Ke Udaharan पढ़ सकते हैं .

FAQs About Sakarmak Kriya Kya Hoti Hain

Q1. सकर्मक क्रिया क्या है ?

Ans : सकर्मक की क्रिया में क्रिया का प्रभाव कर्ता पर नहीं पड़ता, बल्कि कर्म पर पड़ता है, ऐसी क्रिया को Sakarmak Kriya Kahate Hain

Q2. सकर्मक क्रिया के कितने भेद होते हैं ?

Ans : सकर्मक क्रिया के तीन भेद होते हैं – अपूर्ण क्रिया, द्विकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया।

Q3. सकर्मक क्रिया का निर्माण कैसे होता है ?

Ans : सकर्मक क्रिया के निर्माण में कर्ता, क्रिया और कर्म का होना जरूरी होता है।

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