क्रिया – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

क्रिया हिंदी ग्रामर का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है क्रिया के बिना कोई भी वाक्य लगभग अधूरा होता है। क्या आप जानते हैं कि क्रिया किसे कहते हैं? इस आर्टिकल में हम क्रिया की परिभाषा, क्रिया के भेद और क्रिया के उदाहरण के बारे में पढ़ेगें, इस आर्टिकल में क्रिया से सम्बंधित पूरी जानकारी आपको मिल जायेगी।

क्रिया की परिभाषा

किसी वाक्य में प्रयुक्त होने वाले ऐसे शब्द जिनके द्वारा किसी काम के होने या किसी काम के किये जाने या किसी कार्य का होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया कहते हैं।

जैसे – नाचना, खाना, खेलना, मारना, जाना, पीना, सोना, रहना, दौड़ना, गाना, आना, लिखना इत्यादि।

क्रिया के उदाहरण

  • राम खाना खा रहा है।
  • रमेश क्रिकेट खेल रहा है।
  • लड़कियां नाच रही है।
  • रमेश जा रहा है।
  • रोशनी सो रखइ है।
  • राहुल दौड़ रहा है।
  • टीचर छात्रों को पड़ा रहा है।
  • जॉन पत्र लिख रहा है।
  • राधा काम कर रही है।
  • विनोद सो रहा है।
  • सीता ने राम को पत्र लिखा।
  • राजन दूध पी रहा है।
  • रोहन दौड़ना चाहता है।
  • मनोज गाना गा रहा है।

ऊपर दिए गए सभी उदाहरण में कार्य के होने का बोध हो रहा है अतः सभी उदाहरण क्रिया के उदाहरण है क्योंकि इन शब्दों के प्रयोग से काम करने का बोध हो रहा है।

धातु किसे कहते है?

मूल रूप से निर्मित क्रिया को धातु कहते हैं अर्थात क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।

जैसे – पड़, घूम, गा, लिख, बोल, हँस, खा, जा, रो इत्यादि।

धातु के प्रकार

शब्द निर्माण के हिसाब से धातु को दो भागों में बांटा गया है-

  1. मूल धातु
  2. योगिक धातु

1. मूल धातु – यह धातु किसी अन्य पर निर्भर नहीं होती है यह पूरी तरह से स्वतंत्र होती है।

जैसे – पी, जा, खा, रह आदि।

2. योगिक धातु – यह धातु दूसरे शब्दों पर निर्भर करती है अर्थात योगिक धातु को मूल धातु में कई प्रकार की सयुक्त धातु,  संज्ञा, विशेषण में प्रत्यय का प्रयोग करके बनाई जाती है।

उदाहरण – उठवाना, उठाना, दिलवाना, दिलाना, करवाना, कराना, रोना, धोना, चलना, फिरना, उठना, बैठना, खेलना कूदना, बतियाना इत्यादि।

क्रिया के भेद

क्रिया के कुल मुख्य तीन प्रकार के भेद होते हैं-

1. कर्म के आधार पर

2. प्रयोग तथा सरचना के आधार पर

3. काल के आधार पर

क्रिया के तीनों भेदों को बिस्तार पूर्वक समझते हैं-

1. कर्म के आधार पर

कर्म के आधार पर क्रिया को दो भागों में बांटा गया है-

1. अकर्मक क्रिया

2. सक्रमक क्रिया

अकर्मक क्रिया परिभाषा

ऐसी क्रिया जिसका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्म पर नही 

 पड़ता है अर्थात जब भी किसी वाक्य में कर्ता , क्रिया और कर्म तीनो ही मौजूद हो परन्तु क्रिया, कर्म कर निर्भर न हो।

अकर्मक क्रिया के उदाहरण

  • राहुल दौड़ रहा है।
  • वह मेरा मित्र था।
  • वह आ रहा है।
  • वह रात में नही सोया है।
  • वह मेरा सहपाठी है
  • राजेश एक अध्यापक है।
  • विजय के घर जाना है। 

सकर्मक क्रिया परिभाषा

ऐसी क्रियाएं जिनको वाक्य में प्रयोग करने पर इनका प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है अर्थात वाक्य में क्रिया के साथ कर्म का भी प्रयोग होता है।

सकर्मक क्रिया के उदाहरण

राघव दूध पी रहा है।

इस वाक्य में पी शब्द क्रिया है और दूध शब्द एक जिससे साफ पता चल रहा है कि क्रिया कर्म पर निर्भर कर रही है।अतः यह सकर्मक क्रिया का उदाहरण है।

  • सोनम खाना बना रही है।
  • रुचिका ने घर की सफाई की है।
  • सोहन विद्यालय जा रहा है।
  • मैं रातभर कंप्यूटर चलाता हूँ।
  • विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है।
  • तुम घूमने जा रहे हो।

इन सभी वाक्यों मे क्रिया, कर्म पर निर्भर है अतः यह सभी सकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं।

सकर्मक क्रिया के भेद

1. पूर्ण सकर्मक क्रिया

2. अपूर्ण सकर्मक क्रिया

पूर्ण सकर्मक क्रिया के क्रमशः दो उपभेद होते हैं।

1. एक कर्मक क्रिया

2. द्रिकर्मक क्रिया

2. प्रयोग और सरचना के आधार पर

प्रयोग और संरचना के आधार पर क्रिया को कई भागों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं-

  1. सामान्य क्रिया
  2. सहायक क्रिया
  3. सजातीय क्रिया
  4. संयुक्त क्रिया
  5. कृदंत क्रिया
  6. पूर्वकालीन क्रिया
  7. प्रेरणार्थक क्रिया
  8. नामिक क्रिया
  9. नाम धातु क्रिया
  10. विधि क्रिया

3. काल के आधार पर

काल के आधार पर क्रिया को तीन भागों में बॉटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं।

  1. भूतकालिक क्रिया
  2. वर्तमानकालिक क्रिया
  3. भविष्यतकालिक क्रिया

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