Sandeh Alankar Kise Kahate Hain – संदेह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है, सन्देह का अर्थ होता है किसी बात का निश्चित ना होना अर्थात जब उपमेय एवं उपमान में निश्चय न सके। इस लेख “Sandeh Alankar Udaharan Sahit” में आप Sandeh Alankar Ki Paribhasha, Prakar, Niyam Aur Udaharan के बारे में पढ़ेंगे।
Sandeh Alankar Kise Kahate Hain – सन्देह अलंकार की परिभाषा
ऐसा अलंकार जिसमे उपमेय एवं उपमान में समानता को देखकर यह निश्चय न किया जा सके कि वास्तव में उपमेय कौन है तथा उपमान कौन, वास्तव में उपमान उपमेय है अथवा नहीं। जहाँ पर यह दुविधा होती है उसे Sandeh Alankar Kahate Hain
साधारण भाषा में कहे तो जहाँ पर किसी वस्तु अथवा व्यक्ति को देखकर शंशय हो और निश्चय न किया जा सके वह सन्देह अलंकार होता है।
Sandeh Alankar Examples In Hindi – सन्देह अलंकार के उदाहरण
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही कि नारी है कि नारी ही कि सारी है।।
ऊपर दिये गए वाक्य में यह स्पष्ट करना मुश्किल हो रहा है कि सारी के बीच मे नारी है अथवा नारी के बीच मे सारी है, इसमे सन्देह का भाव उत्पन्न हो रहा है अर्थात यह सन्देह अलंकार का उदाहरण है।
यह काया है या शेष उसी की छाया,
क्षण भर उनकी कुछ नहीं समझ में आया।
Conclusion – संदेह अलंकार उन वस्तुओं के वर्णन के बारे में है जिनके बारे में कोई विशेष जानकारी मौजूद नहीं है यहाँ आप जानेंगे Sandeh Alankar Kya Hote Hain, Sandeh Alankar Ki Pahchan Aur Udaharan ऊपर पढ़ सकते हैं।
FAQs About Sandeh Alankar Kya Hai In Hindi
Q1. संदेह अलंकार किसे कहते हैं ?
Ans : वह अलंकार जिसमें उपमेय और उपमान एक सामान्य प्रकार के होते है और दोनों में चुनाव करना मुश्किल हो जाता है कि उसमें उपमान और उपमेय कौन है उसे Sandeh Alankar Kahate Hain
Q2. संदेह अलंकार की पहचान क्या होती है ?
Ans : संदेह अलंकार में एक सवाल बना रहता है और मन में संदेह उत्पन्न होता है जो की स्पष्ट नहीं होता है, यह Sandeh Alankar Ki Pahchan Hain
Q3. संदेह अलंकार का उपयोग कब होता है ?
Ans : Sandeh Alankar Ka Upyog अनिश्चिता जैसी स्थिति और उस रहस्य को दर्शाने के लिए जाता है जो की स्पष्ट नहीं है।