Dirgh Sandhi Kise Kahate Hain – आज के इस लेख Dirgh Swar Sandhi In Hindi में आप दीर्घ स्वर सन्धि के बारे में पढ़ने वाले हैं। दीर्घ स्वर सन्धि, स्वर संधि का एक महत्वपूर्ण भाग है तथा यह आपकी परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
Dirgh Sandhi Kise Kahate Hain – दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा
जिन संधि में दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ का प्रयोग करने के बाद दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ स्वरो का प्रयोग किया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप इन दोनों से मिलकर दीर्घ आ, ई, ऊ और ऋ का निर्माण होता है तो उसे Dirgh Sandhi Kahate Hain
दीर्घ स्वर सन्धि के अंतर्गत छोटे स्वर बड़े स्वर अथवा दीर्घ स्वर में परिवर्तित हो जाते हैं।
Dirgh Swar Sandhi Examples – दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण
(अ + अ = आ ) के उदाहरण
- मत + अनुसार = मतानुसार
- सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
- देव + अर्चन = देवार्चन
- अन्न + अभाव = अन्नाभाव
- मत + अनुसार = मतानुसार
- धर्म + अधर्म = धर्माधर्म
- वेद + अंत = वेदांत
- परम + अर्थ = परमार्थ
(अ + आ = आ) के उदाहरण
- रत्न + आकर = रत्नाकर
- देव + आगमन = देवागमन
- धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
- नव + आगत = नवागत
- परम + आनंद = परमानंद
- सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
- शिव + आलय = शिवालय
- गज + आनन = गजानन
- हिम + आलय = हिमालय
(आ + आ = आ) के उदाहरण
- विद्या + आलय = विद्यालय
- दया + आनंद = दयानन्द
- महा + आनंद = महानंद
- श्रद्धा + आनद = श्रद्धानन्द
- महा + आत्मा = महात्मा
- दया + आनंद = दयानन्द
- वार्ता + आलाप = वार्तालाप
- कारा + आवास = कारावास
(आ + अ = आ ) के उदाहरण
- सेवा + अर्थ = सेवार्थ
- रेखा + अंश = रेखांश
- रेखा + अंकित = रेखांकित
- परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
- यथा + अर्थ = यथार्थ
- दिशा + अंतर = दिशांतर
- शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
- दीक्षा + अंत = दीक्षांत
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
( इ + ई = ई ) के उदाहरण
- मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
- परि + ईक्षा = परीक्षा
- गिरि + ईश = गिरीश
- हरि + ईश = हरीश
- ( ई + इ = ई ) के उदाहरण
- नारी + इंदु = नारीन्दु
- शची + इंद्र = शचींद्र
- लक्ष्मी + इच्छा = लक्ष्मीच्छा
- मही + इंद्र = महींद्र
- पत्नी + इच्छा = पत्नीच्छा
( ई + ई = ई ) के उदाहरण
- नारी + ईश्वर नारीश्वर
- नारी + ईश्वर नारीश्वर
- सती + ईश सतीश
- रजनी + ईश रजनीश
- नदी + ईश नदीश
- जानकी + ईश जानकीश
(उ + उ = ऊ) के उदाहरण
- गुरु + उपदेश = गुरुपदेश
- भानु + उदय = भानूदय
- अनु + उदित = अनूदित
- गुरु + उपदेश = गुरुपदेश
- सु + उक्ति = सूक्ति
- लघु + उत्तर = लघूत्तर
( उ + ऊ = ऊ) के उदाहरण
- सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
- सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
- मधु + ऊष्मा = माधूष्मा
- साधु + ऊर्जा = साधूर्जा
- लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
- साधु + ऊर्जा = साधूर्जा
- धातु + ऊष्मा = धातूष्मा
( ऊ + उ = ऊ) के उदाहरण
- सरयू + उल्लास = सरयूल्लास
- भू + उद्धार = भूद्धार
- वधू + उपकार = वधूपकार
- वधू + उत्सव = वधूत्सव
( ऊ + ऊ = ऊ) के उदाहरण
- भू + ऊर्जा = भूर्जा
- वधू + ऊर्मि = वधू्र्मि
- भू + उर्ध्व = भूर्ध्व
- सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
- भू + ऊष्मा = भूष्मा
Conclusion – Dirgh Swar Sandhi शब्दों के मिलन और ध्वनियों में परिवर्तन लाने में मदद करते हैं यह स्पष्ट रूप से स्वरूप बदलते हैं यहां पर आप Dirgh Swar Sandhi Ki Paribhasha, Bhed, Niyam और विशेषताएं आदि जान सकते हैं।
FAQs About Dirgh Swar Sandhi Kya Hai In Hindi
Q1. दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं ?
Ans : दीर्घ स्वर संधि में जब एक प्रकार के स्वर आपस में मिलते हैं तो वह दूसरे स्वर संधि में परिवर्तित हो जाते हैं जिसे Dirgh Swar Sandhi Kahate Hain
Q2. दीर्घ स्वर संधि की पहचान क्या है ?
Ans : दीर्घ स्वर संधि में विच्छेद करने पर (अा, ई, ऊ) की मात्राओं का उपयोग किया जाता है जो की दीर्घ स्वर संधि की पहचान है।
Q3 दीर्घ स्वर संधि के नियम क्या है ?
Ans : Dirgh Swar Sandhi Ke Niyam है यदि हृस्व या दीर्घ स्वर के बाद भी वही स्वर समान रूप से प्रकट होते हैं तो वह उसी रूप में उपयोग किए जाते हैं।