Vatsalya Ras Kise Kahate Hain – रस हिंदी व्याकरण के सबसे महत्वपूर्ण अंग में से एक है रस को कई भागों में विभाजित किया गया है जिनमे से एक वात्सल्य रस है जिसके बारे में अब हम इस आर्टिकल Vatsalya Ras In Hindi में आपको बताने जा रहे Vatsalya Ras Kya Hain, Bhed, Niyam Aur Avyay.
Vatsalya Ras Kise Kahate Hain – वात्सल्य रस की परिभाषा
माता पिता का अपने सन्तान के प्रति प्रेम, गुरु का अपने शिष्य के प्रति, बड़े भाई बहनों का अपने छोटे भाई बहनों के प्रति जो प्रेम का भाव उत्पन्न होता है उसे Vatsalya Ras Kahate Hain.
साधारण भाषा में कहे तो अनुज, शिष्य और सन्तान के प्रति प्रेम का भाव जहाँ पर पाया जाता है वहां पर वात्सल्य रस होता है।
Vatsalya Ras Ke Udaharan – वात्सल्य रस के उदाहरण
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया।।
व्याख्या –
उपर्युक्त पंक्तियों में प्रभु श्री राम के बचपन के क्रीड़ा तथा क्रिया कलापों के बारे में बताया गया है। जिसमे कभी श्री राम अपने घुटनों के बल पर चलते हैं तो कभी कभी अपने पैरों पर खड़े होकर चलने का प्रयास करते हैं।
जिस कारण से उनके पैरों में जो पायल बंधी हुई है उसमें बंधे घुँघरुओं की आबाज पूरे महल में गूंज रही है। जिससे माता पिता के मन मे प्रेम की भावना बहुत तेजी से बढ़ रही है। जिससे वात्सल्य रस की उतपत्ति हो रही है।
Vatsalya Ras Avyay In Hindi – वात्सल्य रस के अवयव
स्थाई भाव :- वात्सल्य प्रेम , स्नेह
अनुभाव :- आलिंगन, स्पर्श, चुम्बन, आश्रय की चेष्टायें, मुग्ध होना, प्रसन्नता का भाव।
संचारी भाव :- हर्ष, मौतुसक्य, गर्व, आशा, अभिलाषा, आवेग, चपलता, अमर्ष, उत्सुकता, शोक, हास, शंका, चिंता, विस्मय, स्मरण इत्यादि।
आलंबन विभाव :-
- संतान
- माता-पिता
- बालक
उद्दीपन विभाव :-
- भोली – भाली चेष्टाएं
- माता – पिता तथा संतान के बीच की गतिविधि
- नटखटपन
- तुतलाना
- चंचलता
- सुंदरता
Vatsalya Ras Ke Prakar In Hindi – वात्सल्य रस के भेद
- संयोग वात्सल्य
- वियोग वात्सल्य
1. संयोग वात्सल्य
जब पर संयोग के रूप में प्रेम और स्नेह का भाव उत्पन्न होता है वह संयोग वात्सल्य कहलाता है।
उदाहरण-
बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति।
अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।।
2. वियोग वात्सल्य
जब पर वियोग के रूप में प्रेम, अनुराग और स्नेह का भाव उत्पन्न होता है वह संयोग वात्सल्य कहलाता है।
उदाहरण –
सन्देश देवकी सों कहिए,
हौं तो धाम तिहारे सुत कि कृपा करत ही रहियो।
तुक तौ टेव जानि तिहि है हौ तऊ, मोहि कहि आवै
प्रात उठत मेरे लाल लडैतहि माखन रोटी भावै।।
Conclusion – वात्सल्य रस में एक दूसरे के स्नेह और प्यार का वर्णन किया जाता है, यह वर्णन आपको काव्य के उदाहरण में पढ़ने को मिलेंगे, यहां पर Vatsalya Ras Ki Paribhasha, Niyam Aur Udaharan बताए गए हैं।
FAQs About Vatsalya Ras In Hindi
Q1. वात्सल्य रस क्या है ?
Ans : वह रस जिसमें माता-पिता अपने बच्चों के प्रति, एक गुरु अपने चेले के प्रति और एक बड़े भाई और छोटे भाई के प्रति जो प्रेम वाले भाव की अनुभूति होती है, उसे Vatsalya Ras Kahate Hain.
Q2. वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या होता है ?
Ans : वात्सल्य रस का स्थायी भाव स्नेह, प्रेम होता है।
Q3. वात्सल्य रस के उदाहरण बताइए ?
Ans : Vatsalya Ras Ke Udaharan –
बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति
अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति